जयपुर. देशभर में गुरुवार से बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अनिवार्य भले ही हो गया हो, लेकिन राजस्थान में स्कूली शिक्षा की तस्वीर बेहद धुंधली है। राज्य सरकार की मानें तो यहां के 10 लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर हैं। जनसंख्या आंकड़े तो इस संख्या को कहीं ज्यादा बताते हैं।
केंद्रीय सहायता से राज्य सरकार शिक्षा का ढांचा बेहद मजबूत करेगी। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग कहते हैं, शिक्षा का अधिकार पिछड़े एवं गरीब तबकों के लिए वरदान साबित होगा। बस आवश्यकता इस बात की रहेगी कि केंद्र से इसके लिए पर्याप्त सहायता मिलती रहे। शिक्षाविद एस.एल. बोहरा राज्य में प्राथमिक शिक्षा के स्तर को बेहद जर्जर मानते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा के अधिकार की गारंटी इस बात पर निर्भर करेगी कि राज्य में योगय शिक्षकों के साथ ही संसाधनों की कमी को जल्द से कितना जल्द पूरा किया जाता है।
ऐसे हैं 40 लाख बच्चे स्कूलों से दूर:
2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में 4 साल तक के बच्चों की संख्या 72, 33, 220 थी। वर्तमान में ये बच्चे 11 से 14 वर्ष उम्र के हैं। इधर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के प्रतिवेदन को आधार माना जाए तो राजकीय एवं गैर राजकीय स्कूलों में इस उम्र के नामांकित बच्चों की संख्या 31, 73272 है। ऐसे में करीब 40 लाख 60 हजार बच्चे स्कूलों से दूर हैं।
छंद त्रिभंगी
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छंद त्रिभंगी
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टाइप करवंता,नित्य नचंता,
आखर आता,छळकंता।
मनड़ौ मुस्काता,टुन टणकाता,
झन झनकाता,आ पड़ता।
मैसेज घणेरै, तेरे मेरे,
सांझ सवेरे,दिख जा...
9 वर्ष पहले
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