Subscribe

RSS Feed (xml)

Powered By

Skin Design:
Free Blogger Skins

Powered by Blogger

Top Highlights

रविवार, 26 अप्रैल 2009

आजाद होते ही देश गिरवी रख दिया

 Raniwara(Jalore)
लगता है अब बाबा रामदेव ने यह तय कर लिया है कि ेव देश के भ्रष्ट और बेईमान नेताओं को उनकी असली जगह दिखाकर ही दम लेगें। बाबा रामदेव ने स्वाभिमान ट्रस्ट के माध्यम से उन लोगों को सामने लाना शुरु कर दिया है जो रात-दिन देश के लिए सोचते हैं, जीते हैं और देश के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। बाबा रामदेव ने अपने स्वाभिमान ट्रस्ट का सचिव राजीव दीक्षित को बनाया है जो विगत कई बरसों से देश में असली आजादी की लड़ाई अकेले अपने दम पर ही लड़ रहे हैं। राजीव दीक्षित ऐसे धुनी व्यक्ति हैं जो विगत 25 सालों से देश की मल्टी नेशनल कंपनियों और औद्योगिक घरानो के खिलाफ वैचारिक लडा़ई लड़ रहे हैं। कई साल पहले राजीव दीक्षित अपने कैसेटों के जरिए लोगों में राष्ट्र भक्ति का अलख जगाते थे। 

हरिद्वार में बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ में आयोजित स्वाभिमान ट्रस्ट के देश भर के पदाधिकारियों के सम्मेलन में राजीव दीक्षित ने एक बार फिर अपने धारदार तर्कों और सरकारी आँकड़ों के जरिए यह बताया कि सरकार और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मिलकर किस तरह देश के करोड़ों लोगों को लूट रही है। उन्होने कहा कि सरकार ने केरल की समुद्री सीमा में स्थित दुनिया के सबसे खूबसूरत द्वीपों में से एक वाईपिन द्वीप को विदेशी कंपनियों को परमाणु कचरा डालने के लिए सौंप दिया है। 

श्री दीक्षित ने कहा कि अंग्रेजों के आने के पहले हमारा देश इतना खुशहाल था जिसकी बराबरी दुनिया का कोई देश नहीं कर सकता था। देश से 21 प्रतिशत निर्यात होता था अमरीका के साथ ही  फ्राँस, स्वीडन, नार्वे ब्रिटेन जैसे कई यूरोपीय देश भारत के आगे कहीं नहीं टिक पा रहे थे। राजीव दीक्षित ने कहा कि 1809 में ब्रिटेन की संसद में तत्कालीन प्रधान मंत्री ने अपने बयान में कहा था कि भारत से आने वाली हर चीज इतनी अच्छी होती है कि हमारे उद्योग उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं और हमारे उद्योग धंधे नष्ट हो रहे हैं। तब ब्रिटेन की रानी जो दुनिया भर के देशों से अपने लिए बेहतरीन कपड़े मंगवाती थी, उसने भी भारत के कारीगरों द्वारा हाथ से बनाए कपड़ों को देखकर कहा था कि दुनिया के किसी देश में भारत जैसे कपड़े नहीं बनते। उस समय ब्रिटेन के राजा को भारत से भेजा गया एक शाल इतना पसंद आया था कि उसने यहाँ तक कह दिया था कि जब मैं मरूं तो यह शाल मेरे शव के पास रख दिया जाए, मैने जिंदगी में इतनी खूबसूरत शाल नहीं देखी। 

राजीव दीक्षित ने कहा कि तब हमारे देश की आबादी 40 करोड थी, जिसमें से 4 करोड़ कारीगर थे जो हाथ से काम करते थे। उस समय भारत में मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी की दर ब्रिटेन से दस गुना थी यानी अगर ब्रिटेन के किसी मजदूर को 10 रुपये प्रतिदिन मिलते थे तो भारत में मजदूरों को 100 रुपये प्रतिदिन मिलते थे। अंग्रेजों ने भारत में आते ही यहाँ की स्वदेशी व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने स्वदेशी कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली चीजों पर कई तरह के कर लगा दिए। आज हमारे देश में कस्टम, एक्साईज, एंट्री टैक्स आदि के नाम से लिए जाने वाले कर अंग्रेजों की ही देन है। अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश के कई कारीगरों के हाथ के अंगूठे इसलिए काट दिए कि उन्होंने अंग्रजों के आगे झुकने से इंकार कर दिया था। 

उन्होंने कहा कि देश में तब 16 करोड़ किसान थे, हर किसान के पास 10 एकड़ का खेत था। ये ऑंकड़े 1881 में अंग्रेजों द्वारा कराई गई जनगणना के हैं। उस समय देश में एक भी किसान भूमिहीन नहीं था। इसके बाद अंग्रेजों ने 1894 में लैंड एक्विजिशन एक्ट लाकर किसानों की जमीनें छीन ली। किसानों को अपनी उपज का 90 प्रतिशत लगान के रूप में अंग्रेज सरकार को देना अनिवार्य कर दिया गया। जब इस अत्याचार को लेकर कुछ ब्रिटिश सांसदों ने ब्रिटेन की संसद में आवाज उठाई और कहा कि यह अत्याचार की पराकाष्टा है, तो तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री ग्लैडिस्टन ने कहा कि जब तक हम भारत के किसानों का मनोबल नहीं तोड़ देते हम उन पर राज नहीं कर सकते।

जब 1947 में भारत आजाद हुआ तो हमारे देश में सुई से लेकर हवाई जहाज तक बाहर से आते थे। जबकि इसके 150 साल पहले हम पूरी दुनिया को हर तरह का सामान बेचते थे। अंग्रेजों के जाने के बाद सत्ता में बैठे लोगों ने स्वदेशी उद्योग धंधों को प्रोत्साहित करने की बात तो खूब की मगर संसद की पहली बैठक में ही स्वदेशी की भावना का गला घोट दिया गया। देश में विदेशी पूंजी लेकर आए वालों को प्रोत्साहित किया जाने लगा और देशी उद्योगपतियों को हर तरह से उपेक्षित किया जाने लगा। 

श्री दीक्षित ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में देश के 6 लाख 32 हजार लोगों ने अपनी जान कुर्बान की।  आजादी के पहले तो एकमात्र ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई थी जबकि आज सैकड़ों बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में अपने पैर जमा चुकी है। आजादी के बाद देश के किसानों से औद्योगिकरण के नाम से 5 लाख हैक्टेयर जमीन छीन ली गई। श्री दीक्षित ने कहा कि सरकार और देश के वित्त मंत्री हमेशा से ये झूठा दावा करते आए हैं कि विदेशी कंपिनयों के आने से देश में पूंजी निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे बड़ा झूठ और कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि हिन्दुस्तान लीवर इस देश में मात्र 32 लाख रुपये की पूंजी लेकर आई थी, मगर आज यह कंपनी 1800 से 2000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाकर भारत से बाहर भेज रही है। ये तो सरकारी आँकड़ों की जानकारी है अगर इसकी गहराई में जाएं तो यह मुनाफा कई गुना ज्यादा होगा। श्री दीक्षित ने कहा कि कोलगेट ने मात्र 17 लाख रुपये की पूंजी से अपना कारोबार शुरु किया था, मगर आज यह सैकड़ों करोड़ रुपये का मुनाफा भारत से बाहर भेज रही है।   

उन्होने कहा कि ये कंपनियाँ भारत आकर भारत की बैंकों से ही सस्ती ब्याज दरों पर ऋण लेकर, यहाँ के शेअर बाजार में अपना नाम दर्ज कराकर और अपने देश की जनता से ही पूंजी इकठ्टी कर अपना कारोबार फैलाती है। सरकार भी इन विदेशी कंपनियों के आगे नममस्तक हो जाती है और इनको बिजली, पानी, जमीन से लेकर उद्योग के लिए हर तरह की सुविधा मुहैया कराती है। जबकि अगर कोई भारतीय व्यक्ति उद्योग शुरु करना चाहे तो उसे कई साल तक सरकारी विभागों के चक्कर लगाना पड़ते हैं।

श्री दीक्षित ने वित्त मंत्री द्वारा संसद में दिए जाने वाले बजट भाषण का हवाला देते हुए कहा कि देश में गृह उद्योग जिसमें एक आदमी भी अपने घर पर काम करके रोजगार चला रहा है, ऐसे 5 करोड़ 80 लाख उद्योग हैं, इन उद्योगों को देश में दिए जाने वाले कुल कर्ज का 2 प्रतिशत ही दिया जाता है। जबकि इन उद्योगों द्वारा देश के सकल उत्पादन में 35 प्रतिशत का योगदान दिया जाता है। इन उद्योगों को न तो सरकार से कोई ढूट मिलती है न सबसिडी। अगर इन उद्योगों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन और ऋण दिया जाए तो इससे सीधे एक से दो करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है।  श्री दीक्षित ने कहा क सरकार और बैंक अपनी 80 प्रतिशत  राशि विदेशी कंपनियों को ऋण के रूप में देते हैं। जबकि इस देश की बैंकों में 80 प्रतिशत राशि गरीब मजदूरों और किसानों द्वारा जमा की गई होती है।

श्री दीक्षित ने कहा कि किसान, जो देश के लिए अन्न उपजाता है उसे 15 प्रतिशत ब्याज की दर से ऋण दिया जाता है जबकि कार खरीदेन वाले को 5 प्रतिशत की दर पर ऋण दिया जाता है। श्री दीक्षित ने वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में मात्र 1 प्रतिशत लोग खादी पहनते हैं, इससे देश में 1 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि कल्पना करें कि अगर देश के 100 प्रतिशत लोग खादी पहनने लग जाएँ तो देश में 65 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है। अगर हम तयकर लें कि हम अपने गाँव के मोची द्वारा बनाए जाने वाले जूते पहनेंगे तो देश के डेढ़ करोड़ मोचियों को काम मिल सकता है।

क्षी दीक्षित ने कहा कि अगर हम एल्युमिनियम से बने कुकर (वैज्ञानिक शोधों से यह सिध्द हो चुका है कि एल्युमिनियम में बना खाना दूषित हो जाता है) की बजाय मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाएँ तो देश के 50 लाख कुम्हारों को काम मिल सकता है। मिट्टी के बरतन में बना खाना सबसे शुध्द होता है क्योंकि मिट्टी करोड़ों सालों से सूरज की रोशनी में तपती आ रही है और उसके अंदर तमाम खनिज और लवणों के साथ पौष्टिक तत्व होते हैं। श्री दीक्षित ने बताया कि देश के टीवीएस औद्योगिक समूह के परिवार में मिट्टी के बर्तनों में ही खाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने आसपास की छोटी छोटी चीजों से अपने आपको बदलने लगें तो हम कुछ ही सालों में देश का हुलिया बदल सकते हैं और हर दृष्टि से आतम निर्भर हो सकते हैं।

चाणक्य की भूमिका निभाएँगे बाबा रामदेव

 Raniwara(Jalore)
योग के माध्यम से देश और दुनिया में स्वास्थ्य के लिए सफल अभियान चलाने वाले बाबा रामदेव ने राष्ट्रोत्थान के काम को भी अपने हाथों में लेते हुए देश की सत्ता को अपने नियंत्रण में लेने को समय की जरूरत बताया है। 
 
बाबा रामदेव ने दिल्ली में आयोजित भ्रष्टाचार उन्मूलन पर विचार गोष्ठी में अपनी भविष्य की नीतियों का खुलासा करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार एक दैत्य का रूप ले चुका है। अब इस दानव का अंत करने का वक्त आ गया है। इसके लिए अगर सत्ता की कुँजी अपने हाथों में लेनी प़ड़े तो उन्हें इससे गुरेज नहीं होगा। लेकिन इसके साथ ही बाबा ने स्पष्ट कर दिया कि उनका आशय सत्ता के सिंहासन पर बैठना नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण की जिस प्रक्रिया में अब वे जुट गए हैं उसके जरिए तैयार किए गए उनके अनुयायी सरकार को चलाएँगे। उन्होंने कहा कि मुझे वशिष्ठ, विश्वामित्र और चाणक्य की भूमिका में ही रहने दो, लेकिन मेरे द्वारा तैयार किए गए राम और चंद्रगुप्त जैसे लोग सत्ता को संचालित करेंगे। इस लिहाज से सत्ता की कुँजी मेरे हाथों में हो सकती है और वह सत्ता चरित्रवान लोगों की होगी।

बाबा रामदेव का आव्हान-मतदान जरुर करें

 Raniwara(Jalore)
भारत जैसे महान देश के मतदाताओं की यह मजबूरी है कि उनको लोकतंत्र के महान यज्ञ लोकसभा चुनाव के लिए भ्रष्ट, बेईमान, चोर, अपराधी, हत्यारे और देश को बेचकर खा जाने वाले लोगों में से अपना जन प्रतिनिधि चुनना पड़ता है। जिस देश की संसद में बेईमान, मक्कार और अपराधी किस्म के लोग जाकर बैठते हैं, उस देश के भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन लगता है कि इस गहन अंधकार में एक सूरज उदय हुआ है। इस देश को बाबा रामदेव के नाम का एक ऐसा महान व्यक्तित्व मिला है, जो आने वाले समय में देश की सत्ता और संसद में ऐसे भ्रष्ट, बेईमान और चरित्रहीन लोगों को नहीं घुसने देगा। ये बाबा रामदेव ही थे, जिन्होंने सबसे पहले स्विट्ज़रलैंड की बैंक में जमा इस देश के बेईमानों के पैसे वापस लेने के मुद्दे पर देश के नेताओं को बोलने पर मजबूर किया। 

बाबा रामदेव भले ही परोक्ष रूप से राजनीति में भाग नहीं ले रहे हों, लेकिन उन्होंने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के माध्यम से इस देश को और भी पतित होने से बचाने का जो संकल्प लिया है, उस संकल्प को जन-जन तक पहुँचाने की जरुरत है। बाबा रामदेव ने मात्र कुछ सालों में अपने पवित्र संकल्प से भारत को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि एक आदमी अगर तय कर ले तो वह क्या नहीं कर सकता। यह बाबा रामदेव का ही चमत्कार है कि देश के ही नहीं बल्कि दुनिया के करोड़ों लोग अपनी नींद छोड़कर सुबह जल्दी उठकर बाबा रामदेव को देखते हुए उनके साथ योग करते हैं। यह बाबा रामदेव का ही चमत्कार है कि  सुबह-सुबह और शाम को बाग बगीचों में युवा, बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग, कहीं कपाल भाती तो कहीं अनुलोम विलोम करते दिखाई देते हैं। 

बबा रामदेव ने लोगों की नींद ही नहीं छीन बल्कि उनको स्वस्थ होने का मूलमंत्र देने के साथ ही उनके राष्ट्रवादी विचारों और नैतिक जीवन जीने की सोच भी पैदा की है। आज जब देश के लाखों भगवाधारी साधु संत टीवी पर समय खरीदकर कथा सुनाने, चंदा इकठ्टा करके अपने आश्रम बनाने के काम में लगे हैं, ऐसे में एक बाबा रामदेव ही है जो देशके आम आदमी के, देश के अन्नदाता किसान के हित में उठ खड़े हुए हैं। बाबा रामदेव ने मात्र भाषणों से नहीं बल्कि एक अकल्पनीय सोच को करोड़ों लोगों तक पहुँचाकर यह सिध्द कर दिखाया है कि इस देश में एक सूरज का उदय हो चुका है। 

बाबा रामदेव ने आसन्न लोकसभा चुनावों को लेकर अपनी यह पीड़ा कई बार व्यक्त की है कि इस देश में हर पार्टी ने अपराधियों को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इसके वावजूद उन्होंने देश के करोड़ों मतदाताओं से यह अपील की है कि वे मतदान करने जरुर जाएँ और अपने अपने क्षेत्र से कम से कम बेईमान और कम से कम भ्रष्ट उम्मीदवार को अपना मत दें। हम बाबा रामदेव की यह अपील आप तक पहुँचा रहे हैं और आप सभी से आग्रह करते हैं कि उनकी यह बात आप भी अपने परिचितों, साथियों और रिश्तेदारों तक पहुँचाएँ। हो सकता है इस बार आप अपने क्षेत्र से कोई सही व्यक्ति नहीं चुन पाएँ लेकिन आपका यह प्रयास आने वाले चुनावों के लिए एक नई सुबह की शुरुआत तो कर ही देगा।

प्रस्तुत है बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट द्वारा लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के नाम जारी अपील
 

हम सब राष्ट्रवादी, देशभक्त, जागरूक, देशवासियों से अनुरोध करते हैं कि लोकतन्त्र की इस चुनावी महासंग्राम में अपने मत का 100 प्रतिशत प्रयोग करें। आगामी चुनाव में जाति, मत,  सम्प्रदाय, धर्म आदि को भूलकर राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर अपने मतदान द्वारा देशभक्त, ईमानदार, चरित्रवान, पारदर्शी, पराक्रमी, मानवतावादी, अध्यात्मवादी, विनयशील व निर्व्यसनी उम्मीदवारों को जिताने के लिए आगे आएं। इन चुनावो में किसी पार्टी को नहीं अपितु ईमानदार देश भक्त प्रत्याशी को जिताएं।

इस चुनाव में उपलब्ध उम्मीदवारों में से श्रेष्ठतम उम्मीदवार को अपना मत देकर विजयी बनाएं। यदि आपने मतदान नहीं किया तो फिर से कुछ अपराधी किस्म के लोग सत्ताओं में बैठेंगे व देश में शासन के नाम पर शोषण करेंगे, जिससे देश में भ्रष्टाचार, आतंकवाद, गरीबी, बेराजगारी व शोषण बढे़गा तथा हमारा देश भारत कमजोर होगा।

तो आईए! भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए राष्ट्रहित में स्वयं 100 प्रतिशत मतदान करने एवं दूसरों को भी 100 प्रतिशत मतदान के लिए प्रेरित करने का संकल्प लें।

आओ करें मतदान की चोट! और मिटाएँ लोकतन्त्र की खोट!!

मतदान जनता की शक्ति है! एक सच्ची राष्ट्र भक्ति है!!

मतदान करो, मतदान करो! जरा देश का ध्यान करो!!

वोटिंग करने जाना है! ईमानदार को जिताना है!!

आओ मिलकर करें मतदान! बचाएं भारत का स्वाभिमान!!

मतदान करने जाना है, भ्रष्टाचार मिटाना है! लोकतन्त्र को बचाना है!!

मतदान करने जाएंगे! भारत का वैभव बचाएंगे!!

करें शत-प्रतिशत मतदान! बचाएं भारत का स्वाभिमान!!

वोट डालने निकलें बाहर! शहीदों के सपने हों साकार!!

मतदान करो, मतदान करो! भारत माँ का सम्मान करो!!

देश भक्त की क्या पहचान! अंगुली पर मतदान का निशान!!

शहीदों का सम्मान करें! सौ प्रतिशत मतदान करें!!

आतंकवाद व भ्रष्टाचार मिटाना है! मतदान के लिए जाना है!!

देश की अस्मिता को बचाना है! ईमानदार को जिताना है!!

डर-डर के अब नहीं रहेंगे, देश भक्त को वोट करेंगे।

भ्रष्टाचार मिटाएंगे, नई आजादी लाएंगे।

जाति-वाद को खत्म करेंगे, देश-भक्त को वोट करेंगे।

भ्रष्टाचार को मिटाना है, चरित्रवान को जिताना है।

भ्रष्टाचार मिटाना है, ईमानदार को जिताना है।

ईमानदार को जिताना है, स्विस बैंको से पैसा लाना है।

निवेदकः

भारत स्वाभिमान ट्रस्ट

पतंजलि योग समिति

महिला पतंजलि योग समिति

हम 100 प्रतिशत मतदान का संकल्प लेते हैं। हम 100 प्रतिशत मतदान करके देशभक्त, पराक्रमी व पवित्र चरित्र वाले लोगों को सत्ताओं के शीर्ष पर बैठाएंगे और देश से भ्रष्टाचार को समाप्त कर गरीबी, भूख बेरोजगारी,अन्याय, शोषण व अपराध को मिटाएंगे और एक शक्तिशाली भारत बनाएंगे।

हम राजनीति नहीं करेंगे, परन्तु साथ ही भ्रष्ट, बेईमान व अपराधी, कायर, कमजोर, बुजदिल लोगों को सत्ताओं में नहीं आने देंगे। क्योंकि देशभक्त, ईमानदार लोगों के द्वारा मतदान न करने के कारण ही भ्रष्ट व बेईमान लोगों के हाथ में देश की सत्ता चली जाती है और आपके व हमारे खून-पसीने की कमाई से प्राप्त लगभग दस लाख करोड़ रुपए से अधिक धन कुछ-भ्रष्ट लोग लूट लेते हैं एवं देश कमजोर हो जाता है और देश का विकास रुक जाता है।

हम शून्य तकनीक से बनी विदेशी वस्तुओं का अपने दैनिक जीवन में 100 प्रतिशत बहिष्कार करेंगे। हम देश का आर्थिक शोषण नहीं होने देंगे और देश का पैसा विदेशी कम्पनियों को देकर देश को कमजोर नहीं बनाएंगे।

हम अपने जीवन में 100 प्रतिशत राष्ट्रवादी चिन्तन को अपना कर राष्ट्रीय-चरित्र को ऊँचा उठाएंगे। हम देश में जाति, प्रान्त,, मजहबों के नाम से घृणा नहीं फैलाएंगे और न ही फैलाने देंगे।

जब भ्रष्ट लोग एक हो सकते हैं, तो हम श्रेष्ठ लोगों को विभाजित नहीं होने देंगे। हम देशभक्त ईमानदार लोगों को 100 प्रतिशत संगठित करेंगे। अब हमें भ्रष्ट, बेईमान व अपराधी चरित्र के लोग अपमानित नहीं कर पाएंगे।

हम सम्पूर्ण भारत को 100 प्रतिशत योगमय बनाएंगे। हम देश के छः लाख अड़तीस हजार तीन सौ पैंसठ गाँवों तक योग के संदेश को लेकर जाएंगे और 110 करोड़ देशवासियों का योग से स्वस्थ तन, स्वस्थ मन स्वस्थ चिन्तन बनाकर उनके जीवन में पूर्ण पवित्रता लाएंगे और योग धर्म से जन-जन का स्वधर्म व राष्ट्रधर्म जगाकर उसको स्वकर्म में लगाएंगे और भारत को फिर से विश्वगुरु बनाएंगे।

बाबा रामदेव के सवाल पर प्रधानमंत्री की चुप्पी

RANIWARA(jALORE)
मीडिया और कांग्रेसी नेताओं से लेकर टीवी चैनलों पर खींसे निपोरने वाले देश के तथाकथित बुध्दिजीवी देश के प्रधान मंत्री को भले ही ईमानदार प्रधानमंत्री कहकर उनको महिमा मंडित करें, मनमोहन सिंहजी  ने अपनी नैतिकता और ईमानदारी को उसी दिन तिलांजलि दे दी थी जब उन्होंने राज्य सभा का चुनाव असम से जीतने के लिए असम के उस अनाम से गाँव का पता दिया था जिस गाँव को उन्होंने कभी देखा ही नहीं था। मनमोहन सिंह ने प्रधान मंत्री पद तक पहुँचने के लिए अपने आपको असम के कामरूप जिले के  दिसपुर गाँव का निवासी बताया है। अपने आपको राज्य सभा में सुशोभित करने के लिए ये काम अकेले मनमोहन सिंह ही नहीं कर रहे हैं ब्लकि हर पार्टी ने अपने नेताओं को इसी अनैतिक और बेईमानी के रास्ते से राज्यसभा में भेजा है। 

तो बात प्रधान मंत्री की उस चुप्पी की जो उन्होंने अब तक नहीं तोड़ी है। बाबा रामदेव ने जबसे भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का गठन किया है, वे बार बार एक ही बात कह रहे हैं कि स्विस बैंकों में जमा देश का अरबों-खरबों रुपया भारत लाया जाए। 

बाबा रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ में प्रवासी भारतीयों के लिए आयोजित योग शिविर में खुलकर कहाकि उन्होंने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को इस मुद्दे को लेकर तीन पत्र लिखे हैं, लेकिन उन्होंने आज तक इन पत्रों का जवाब नहीं दिया है। क्या प्रधान मंत्री इस देश के करोड़ों लोगों के बीच निर्विवाद रूप से लोकप्रिय एक संत के पत्र का जवाब देने तक से डरते हैं। बाबा रामदेव ने अपना यह वक्तव्य खुलकर दिया है और इसका आस्था चैनल पर बार बार प्रसारण हो रहा है इसके बावजूद न तो कांग्रेस पार्टी ने, न सरकार ने और न प्रधान मंत्री ने इस बात का नोटिस लिया है। तो क्या यह समझा जाए कि प्रधान मंत्री कार्यालय ने प्रधान मंत्री को बाबारामदेव के इस पत्र के बारे में या टीवी पर लगातार आ रहे उनके वक्तव्य के बारे में नहीं बताया है। या फिर कांग्रेस और प्रधान मंत्री दोनों ही देश की अरबों- खरबों रुपये की इस दौलत को लेकर चुप्पी साधे बैठ गए हैं। 

 
बाबा रामदेव लगातार यह बात कह रहे हैं कि भारत सरकार की अमीरपरस्त और विदेशपरस्त नीतियों का यह सबसे ज्वलंत उदाहरण देश की बहुत बड़ी पूंजी स्विट्जरलैंड और अन्य कई देशों के बैंकों में अवैध रूप से जमा है और सरकार उसे वापस भारत लाने के पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। गुप्त और काले धन के गढ़ के रूप में कुख्यात स्विस बैंक तथा इस तरह अन्य बैंकों में भारत में रहने वाले कुछ लोगों के लगभग 70 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। चोरी-छिपे जमा किए गये इन गुप्त खातों के स्वामी हैं देश के कई बड़े-बड़े नेता, ऊंचे पदों पर बैठे कुछ नौकरशाह और भ्रष्ट व्यापारी तथा तस्कर इत्यादि। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऐसे बैंकों में सबसे ज्यादा रुपया भारत का जमा है। भारत ने इस मामले में अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।

‘70 लाख करोड़ रुपये’ का मतलब क्या होता है, देश की अधिसंख्यक जनता इसका अनुमान भी नहीं लगा सकती। यह इतनी विशाल राशि है कि यदि इसे भारत के सबसे गरीब 7 करोड़ परिवारों यानी 40 प्रतिशत लोगों में बांट दिया जाए तो हर गरीब परिवार को लगभग दस लाख रुपये मिलेंगे। इस संबंध में एक और तथ्य यह भी है कि इस राशि के मात्र 15 प्रतिशत हिस्से से पिछले 60 वर्षों में लिये गये भारत के सारे विदेशी कर्ज चुकाये जा सकते हैं। मंदी से जूझ रहे देश के लिए इस पैसे का मिलना किसी वरदान से कम नहीं होगा।

एक समय था जब स्विसबैंकों  या ऐसे ही अन्य विदेशी बैंकों से कोई जानकारी लेना असंभव था। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका की मंदी समाप्त करने के लिये इन्हीं स्विस बैंकों से अमेरिकी धन वापस लाने की पहल की है। अमेरिकी दबाब के आगे स्विट्जरलैंड (स्विस) सरकार ने कोई ना-नाकुर नहीं की और उनके कहे अनुसार कदम उठाने को तैयार हो गई है। इससे भारत के लिये भी रास्ते खुल गये हैं। भारत सरकार को भी अपने रुपयों को वापस लाने के लिये अमेरिका की तरह पहल करनी चाहिए थी। किन्तु भारत सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। शायद ऐसा करने से भारत के कई ऐसे सफेदपोश लोगों की करतूतें सामने आ जाएंगी, जो सरकार में खासा प्रभाव रखते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों सरकार ने ये जानकारी नहीं प्राप्त की? सरकार की निष्क्रियता इस मामले में उसकी नीयत पर सवाल उठाने के लिए विवश कर रही है। 

लेकिन अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। सरकार चाहे तो अब भी इस मुद्दे को आगे बढ़ा सकती है। लेकिन हम जानते हैं कि सरकार यह तब तक नहीं चाहेगी जब तक उस पर जनमत का दबाव नहीं पड़ता। जब राजसत्ता संवेदनशून्य हो जाए तो समाजसत्ता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इस मामले में भी स्थितियां ऐसी ही हैं।

अभी चुनाव का वक्त है और इस समय इस मसले पर जनता काफी कुछ अपने तरफ से कर सकती है और कम से कम भ्रष्ट नेताओं पर तो नकेल कसने में सफलता पाई जा सकती है। एक बार अगर भ्रष्ट नेताओं पर लगाम लग जाए तो दूसरों के भ्रष्टाचार को उजागर करना आसान हो जाएगा। क्योंकि भ्रष्टाचार के जड़ में तो सियासी लोग ही हैं। जब जड़ पर चोट की जाएगी तो दूसरे हिस्से तक इस मार का असर स्वाभाविक रूप से पड़ेगा।