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कॉर्पोरेट इतिहास के विश्लेषणकर्ता इस बात को स्वीकार करते हैं कि संसार की महानतम् कंपनियों का प्रारम्भ बहुत छोटे स्तर पर हुआ था। मात्र "साहस" की पूंजी लेकर कुछ व्यक्तियों ने अपना एक छोटा सा व्यवसाय प्रारम्भ किया, जिसमें आय की कोई गारंटी नहीं थी, घर कैसे चलेगा, कुछ पता नहीं था।
उदाहरण के लिए कोलगेट कंपनी के संस्थापक विलियम कोलगेट ने 19वीं शताब्दी में अपने घर के पिछवाड़े में इस टूथपेस्ट को बनाना शुरू किया, जो बाद में पूरे संसार में मशहूर हुआ। इसी तरह 1789 में बनी पियर्स साबुन को बनाने वाली लीवर कंपनी के संस्थापक लीवर बन्धुओं ने भी बहुत छोटे स्तर पर साबुन, डिटरजेंट इत्यादि का निर्माण प्रारम्भ किया, जो आज संसार की सबसे बड़ी कम्पनियों में गिनी जाती है। टोयोटा कार कंपनी के संस्थापक "मि. टोयोडा," जो स्वयं एक टैक्सटाइल मैकेनिक थे, 1930 के आस-पास स्वयं की कार बनाने का सपना देखा था।
वह एक अमरीकन कार खरीद कर उसको डिसेबल करके उसे समझने की दिन-रात कोशिशें करते रहे, परन्तु वे अपने जीते-जी सिर्फ जापान की सेना के लिए "लॉरियों" का निर्माण कर सके। वो कार नहीं बना पाए। द्वितीय विश्व युद्घ की हार के बाद जापान की उन सभी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिन्होंने जापानी सेना की मदद की थी। इसमें टोयोटा भी एक थी। बड़ी मुश्किल से इधर-उधर चक्कर काट कर इस कंपनी ने अपने ऊपर से प्रतिबंध हटवाया और 1951 से एक नई शुरूआत की। इनकी पहली कार 1956 में मार्केट में उतारी गई। यही वो वर्ष है जब भारत की विख्यात एम्बेसडर भी भारत के बाजार में बिड़ला समूह द्वारा उतारी गई थी। 1956 की टोयोटा कार पर सारा अमरीका हंसा। टैक्निकल स्टैंडर्ड के हिसाब से यह कार कुछ भी नहीं थी। लेकिन "टोयोटा" ने हिम्मत नहीं हारी, धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कार के दोषों को दूर किया। इस तरह के उदाहरण भारत में भी भरे पड़े हैं।
एसीसी सीमेंट की स्थापना श्रीमान दिनशॉ की प्रेरणा से 1936 में दस सीमेंट कंपनियों के विलय से प्रारम्भ हुई। स्वयं श्रीमान दिनशॉ एसीसी के बनने से कुछ महीनों पहले चल बसे। रिलायंस समूह के संस्थापक धीरूभाई अम्बानी का जन्म गुजरात के गांव में हुआ। उनके पिताजी एक स्कूल अघ्यापक थे। 17 वर्ष की उम्र में ही वे विदेश में "अदन" चले गए और एक पेट्रोल पदार्थ के डिस्ट्रब्यूटर के यहां छोटा-मोटा काम किया। भारत आकर उन्होंने अपनी संस्था प्रारम्भ की। आज इनका समूह भारत के अग्रणी औद्योगिक समूहों में से एक है।
इसी तरह "एयरटेल" के संस्थापक सुनील भारती मित्तल ने अपना कैरियर 1976 में पंजाब में एक स्मॉल स्केल मेन्युफैक्चर के रूप में प्रारम्भ किया था। मैनेजमेंट गुरूओं का कहना है कि ऊपर दिए गए उदाहरणों से आज के मैनेजमेंट विद्यार्थियों को प्रेरणा लेनी चाहिए कि वे भी भविष्य के टाटा, बिरला एवं अम्बानी बन सकते हैं, बशर्ते वे भी कोई छोटा काम स्वयं शुरू करें।
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